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________________ सुशीलनाममालाया * मर्कटनामानि ॐ शाखामृगः' कपिः कोश 3, प्लवङ्गः (लगः५ पुनः / प्लवङ्गमः प्रवङ्ग इच, बलिमुखो बलीमुखः // 2334 // मर्कटो वानर'' इचव, वनौकाश्च' 2 तथा हरिः१३। / एतन्नामानि मन्यन्ते, मर्कटस्य महीतले // 2335 // श्याममुखो गोलागूलो' लोके लङगूर उच्यते। * मृगनामानि 8 ख्यातो मृगः' कुरङ्ग च सारङ्गो हरिणः पुन: // 2336 // वनायु' श्चैव वानायु, वातायु: श्चापि कथ्यते / पुनश्चान्नियोनि ई, मृगनाम हि मन्यते // 2337 // * मृगभेदनामानि है मृगभेदा न्यकु'-रङकु-हरु -रोहिष-रोहिषाः / / चमूरु'-चमर चीनाः ,समूरै -ण' -र्य''-रोहिता: // 2338 // ऋष्य' 3.समूरु१४.गोकर्णा:१५, प्रियकः पृषत'" स्तथा। शम्बर: 8 शंवर१६ श्चैव, संवरः२० कदली२१ पुनः // 2336 // कन्दलो 22 कृष्णशार२ 3 इच, कृष्णसारो२४ ऽपि कथ्यते / दक्षिणेसमृगः सोऽस्ति, यो व्याधक्षिणे क्षतः // 2340 // वातमृगो' वातप्रमी२, वायुवेग समो मृगः /
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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