________________ 372 सुशीलनाममालार्या करटा' दुःखदोह्या सा, दुःखेन दह्यते सदा। वञ्जुला' बहुदुग्धा सा, या बहुदुग्धप्रदा भवेत् // 2260n द्रोणक्षीरा' तथा द्रोणदुग्धा द्रोणदुधा' भवेत् / पीवरस्तनी' पोनोनी', कथ्यते पण्डितैः पुनः // 2261 // .. धेनुष्या' पोतदुग्धा च, संस्थिता दुग्धबन्धके। नैचिकी' स्यादुत्तमा गौः मलिनी' बालगभिणी 22627 पलिको मन्यते सैव, बालगर्भवती च या।'' समांसमीना' गौः स्याद्या, प्रतिवर्ष प्रसूयते // 2263 // सुकरा' कोपना ऽचण्डी, गौः स्याच्छान्तस्वभाविका।.. वत्सला' वत्सकामा' स्यात्, या वत्सं बहु सेवते 12264 // चतुर्वर्षा' तथा चतुर्हायणी कथ्यते पुन / त्रिहायणी' त्रिवर्षा' च, स्याद् द्विवर्षा' द्विहायनी // 2295 // 'एकवर्षाभिधा एक हायनी कापि गौर्भवेत् / पापीन' मूधो दुग्धधारक मङ्गमुच्यते // 2266 // * गोमयनाम * गोविट' गोमय माख्यातं, पवित्र भूमिलेपनम् / गोग्रन्थिः' छगणं चैव, करोष शुष्कगोमयम् // 2267 // गव्य' स्याद् वै गर्वा सर्वं, दुग्धं दधि घृतादिकम् / व्रजो भवति गो स्थान, गोकुल गोधनं धनम् // 2268 //