________________ चतुर्थस्तिर्यविभागः ____ 371 गोनामानि * अर्जुनी' रोहिणी गौ न, शङ्गिणी सुरभि स्तया। उना' ऽन्या सौरमेयाच, तम्मा तम्पा' निलिम्पिका // 2282 // अनड्वाही'२ च माहेयो'३, माहा'४ चाऽनडुहो५ पुनः / उषा माता सप्तदश-नामानि प्रथितानि वै // 2283 // ॐ गो भेदनामानि 8 कृष्णा' च धवला२ चैव शबला' शबली' तथा / प्रष्ठोहो' स्याच पष्ठीहोर, भिणी' बालभिणो // 2284 // वन्ध्या' वशा२ च सा मौः स्यात्, या न गर्भ दधाति वै। वेहद' वृषोंपगा' याति गर्भ धारयितुं वृषम् // 2285 // प्रवतोका' स्रवदगर्भा', वतोका गर्भनाशिनी / सन्धिनो' च वृषाक्रान्ता२: शण्ड संयोगकारिणी // 2286 // प्रौढवत्सा' तथा बकायणी बष्कयणी पुनः / / ख्याता चिरप्रसूता सा, धेनु मेदा स्मृता भुवि // 2287 // नवसूतिका' तथा 'धेनुर्दुग्धं यच्छति या बहु। बहुसूतिः' परेष्टुः२ स्याद् गृष्टिः' सकृत् प्रसूतिका // 2288 // उपसर्या च काल्या पि, प्रजने कथ्यते बुधः / सुव्रता सुखदोह्या' च, या दुह्यते सुखेन सा // 2286 //