________________ 370 सुशीलनाममालायां * वत्सनामानि 8 तर्णः' शकृत्करि' श्चैव, ख्यातो वत्स ' पुनर्भुवि / वत्सतर' स्तु दम्यो , महावत्सो निगद्यते // 2274 // 8 वृषभभेदनामानि * नस्योतो' नस्तितश्चैव, नस्तोतः कथ्यते पुन / प्रष्ठवाट्' हलवोढा स्यात्, षष्ठबाट युगपार्श्वगः // 2275 // वोढारः स्युर्युगादीना, प्रासङ्गय'-युग्य'-शाकटाः / सब सर्वपुरीणो' वे, सा वहति यो धुरम् // 2276 // 'एकधुरीणैक 'घुरावुभावेकधुरावहे / ' धुरन्धरो' धुरीणः स्याद्, धुर्योधौरेयकः पुनः // 2277 // धोरेयो पूर्वह श्चेति, नामानि कथयन्ति वै / गलि' र्दुष्टवृष श्चैव, प्रोक्तः शक्तोऽप्यपूर्वहः // 2278 // पृष्ठवाह्य' स्तथा पृष्ठ्यः, स्थौरी' नामापि मन्यते / . द्विवन्' षोडन् द्वि-षड्यन्ती वहः' स्कन्धोऽस्य बन्धनम् // 2276 // ककुछ' चांऽशफूटं स्यात, ककुदं कुकुदं पुनः / मैचिक' नैचिको तस्य, शिरो लोकेषु कथ्यते // 2280 // . विषाणं' कूणिका शुङ्ग, प्रोक्तं वृषस्य शृङ्गकम् / गलभागोऽस्य सास्ना', कथ्यते गलकम्बलः // 2281 // .