________________ सुशीलनाममालायां सुधावणे व सेराहः', स्यात् पोते हरियो' हये // 2240 // खुङ्गाहः' कृष्णवर्णे स्यात्, क्रियाहो' लोहिताश्वके / पुनः श्च नीलको' नामा, ऽऽनीलाश्वे मन्यते बुधैः // 2241 // कपिलवणे त्रियूहो' ऽश्वः, कथ्यते कोविदः खलु। वोल्लाह' स्त्वयमेवस्ति, पाण्डुकेशरवालधिः // 2242 // उराहो' ऽश्वो मनाक पाण्डुः, कृष्णजनो भवेद् यदि / पुनः सुरूहकः कोऽपि, गर्दभाभो हि मन्यते // 2243 // पाटलो वोरुखानः' स्यात्, कृष्ण स्तु यदि जानुनि / मनाक् पीतः कुलाहाख्यः', कथ्यते पण्डितैः किल // 2244 // उकनाहाभिधः पीत-रक्तच्छायः स एव हि / कृष्णरक्तच्छवि: प्रोक्तः, क्वचिदिति बुध रिह // 2245 // कोकनदच्छवि: शोणः', स्याद् हरिक' श्च हालकः / पीतरितच्छायो वै, कथ्यते पण्डित रिह // 2246 // पगुल:' श्वेतकाचाभो, हलाह' श्चित्रितो हरिः। श्वेतनयनवानश्वो, मल्लिकाक्षः' प्रकथ्यते // 2247 // इन्द्रायुधो भवेन्नाम. श्याम नेत्रवतः किल / ककुदी' ककुदावर्तो, विशिष्टावर्त्तवान् हयः // 2248 // इन्द्र वृद्धिके' नामास्ति, निर्मुष्को घोटकः पुनः। . अश्वमेधयज्ञस्याश्वो, ऽश्वमेधीय' स्तथा ययुः // 2246 // .