________________ सुशीलनाममालाया मातङ्गस्य पुनः प्रोक्त, चरणबन्धनमत्र // 2223 // . .. अन्दुको' ऽन्दू 2 श्च हिजीरो, निगडो निगलः पुनः / प्रसिद्धः शृङ्गल श्चैव, पादपाशो ऽपि मन्यते // 2224 // गजस्य बन्धनस्थान, वारि' रीि निगद्यते / त्रिपदी' गात्रयो बन्ध, एकस्मिन्नपरे ऽपि च // 2225 // वेणुक' वणुक तोत्रं, वेणुकस्येति नाम वै। पालानं' नाम मातङ्ग-बन्धस्तम्भ श्च मन्यते // 2226 // सृणिः' शृणि२ रङकुश इच, स्यादऽपष्ठं' तदग्रभाक् / अङकुशवारणं यातं', कथ्यते पण्डितः पुनः // 2227 // यतं नाम प्रसिद्ध स्यात्, पादकर्म निषादिनाम् / वीतं' पुन स्तदेवास्ति, निषादिपाद चालनम् // 2228 // कक्ष्या' दूष्या वरत्रा च, चूष्या' स्याच्चर्म रज्जुका। गजगले बन्धनं स्यात् कण्ठबन्ध:' कलापकः // 2.26 // ___ अश्वनामानि * अश्व:' सप्ति हयो हेषी', हरि हि च हंस इति / अर्वा वाजी तथा किण्वो', क्रमण:११ सिंहविक्रमः 12 // 2230 // केशरी केसरी१४ कुण्डो१५, कुटर:१६ पालक:१७ पुनः / घोटक' स्तुरग स्ताय , स्तुरङ्ग२१३च तुरङ्गम:२२ // 2231 // गन्धर्व 3 इचामरी२४ प्रोथी२५, माषाशी२६ च मरुद्रथः२७ /