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________________ सुशीलनाममालाया महाकायस्य मन्यन्ते, विश्वे च वलयन्तिताः // 2204 // . काले ऽप्यजातदन्त श्च, स्वल्पाङ्गः स्यात् च मत्कुणौ / पञ्चवर्षो द्विपो बाल:' पोतः' स्याद् दशवर्षकः // 2205 // पिक्को' विक्क' च मातङ्गो. विशतिवर्ष उच्यते / कलभो' ऽपि त्रिंशद्वर्षः, कथ्यते कोविदः किल / / 2206 / / यूथनाथ' स्तथा यूथ-पतिः२ स्याद् यूथनायकः / प्रभिन्नो' गजितो मत्तो, मदोन्मत्तोऽपि मन्यते // 2207 // ख्यातो मदोत्कटः स्याच्च, मदकलो ऽपि वै पुनः / उद्वान्तो' निर्मद श्चोक्तो , मदशून्यगजो हि तद् // 2208 // कल्पित ' सज्जित श्चैव, युद्धाय चलिते गजे / परिणत स्तिर्यग्धाती, तिर्यक् प्रहारकर्तरि // 2206 // व्याडो' दुष्टगजो व्यालः३, उपद्रवकरे गजे / तथा गम्भीरवेदी' स्याद्, चाऽवमताकुशः किल // 2210 // प्रध्यात उपवाह्य श्च राजवाह्य स्तथैव च / प्रौपवाह्यो ऽपि कथ्यते, नृपस्यारोहरणाय वै // 2211 // सन्नह्य ' समरोचित:२, सङ्ग्राम योग्य कुञ्जरे। ईषादन्त' उदग्रदन्२, लम्बदन्तो गजो भवेत् // 2212 // गजानां समुदाये तु, हास्तिकं' गजता घटा। मदो' दानं प्रवृत्ति स्तु, उन्मत्तगजगण्डनम् // 2213 //
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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