SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 38
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रस्तावना [ र इन्हें गणिपदवी प्राप्त हुई एवं इसो साल इन्हें पन्यास पदवी से विभूषित किया गया। सं० 2021 में मुण्डारा ग्राम में आपको उपाध्याय एवं आचार्य पदवी से मंडित किया गया। शास्त्र विशारद, साहित्यरत्न एवं कविभूषण की पदवी से समलङ्कृत प्राचार्य महाराज प्रखर वक्ता एवं सिद्ध लेखक हैं। जैसलमेर 'तीर्थ में श्री संघ ने आपको 'जैन दिवाकर' की उपाधि से सम्मानित किया। - आपका सम्बन्ध कई मंदिरों की प्रतिष्ठा से रहा है एवं कई तीर्थ स्थानों का आपने जीर्णोद्धार करवाया है। जैन जगत में महत्वपूर्ण कई संघों का आयोजन आपकी निश्रा में हुआ है। जैन जगत में एक प्रखर आचार्य के रूप में आपकी प्रतिष्ठा है। इन प्रखर प्राचार्य श्री की लेखनी अभी भी व्याकरण, न्याय, साहित्य, छन्दकोश आगम आदि विविध विषयों पर चल रही है एवं मुझे आशा है कि जैन जगत से बाहर भी प्राचार्य श्री की प्रतिष्ठा एक विद्वान् मनीषी के रूप में प्रतिष्ठित रहेगी। विद्वद्रज प्रो० सोहनलाल पटनी दीपोत्सव, 2033 एम. ए. (संस्कृत, हिन्दी) हिन्दी विभाग राजकीय महाविद्यालय, सिरोही
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy