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________________ 326 सुशीलनाममालाय अत्यन्तनूतने पत्रे, प्रवाल' श्च कथ्यते बुधैः // 1974 // : कोशी' शुङ्गा प्रवालन-भागो भवति निश्चयात् / * दलस्मसानाम * माढि' लस्नसा पत्र-नाडी बोधाय युज्यते // 1975 // ' * विटपनाम * विस्तारो' विटपरे श्चापि, वृक्षप्रसार बोधवान् / * पुष्पनामानि कुसुम' प्रसव: पुष्पं, सून सुमनस: सुमम // 1976 // मणीवकं प्रसून चे-ति नामानि सुमस्य वै / जालकः' क्षारका' नाम, नूतनकलिकार्थकः // 1978 // ' . कलिका' कोरक स्याच्च, कुसुमर्कालकार्थकः / कुड्मलं' मुकुल 2 चैत-दऽर्धस्फुटित कोरके // 1978 // * गुच्छनामानि * गुच्छो' गुञ्छो गुलुञ्छ इच, गुलुञ्छु गुत्सकः पुनः / गुत्स श्च स्तबको लुम्बी, नामान्यष्टौ च सन्ति वै // 1976 // ॐ परागनाम है परागो' नाम प्रख्यातः, पुष्परजो हि कथ्यते /
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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