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________________ चतुर्थस्तिर्यविभागः 321 * महारण्यनाम है महारण्य' मरण्यानो', विशालं वन मुच्यते // 1948 // * तृणाटवीनाम * तृणाटवी' च प्रस्तारो', झष स्तु बहुघासवत् / * आरामनामानि 8 पारामो' ऽपवनं' स्याच्च, वेल मुपवनं पुनः॥१९४६॥ निष्कुट' स्याद् गृहारामो, बाह्याराम' स्तु पौरक: / प्राकीडः' स्याद् तथोद्यान, राज्ञांत्वन्तः पुरोचितम् // 1950 // प्रमदवनं' राजीना, प्रमोदाय कृतं भवेत् / पुष्पवाटी' वृक्षवाटी, मन्त्रिवेश्यागृहस्थिता // 1951 // राज्याः क्रीडाकृते सैव, क्षुद्राराम:' प्रसोदिकारे / ॐ वृक्षनामानि ॐ वृक्षो' रूक्षो द्रुमो ऽद्रि इच, हरिद्रु ? महीरुहः // 1952 // पारोहक: कुट: कुठ:१०, कारस्करः'' करालिक:१२ / अगो'3 ऽगमो१४ नगो१५ गच्छः१६, . सीमिको हरितच्छदः१८ // 1953 // पादप:१६ पुष्पद:२० पर्णो२१ विटपो२२ विष्टर२३ स्तरु: 24 /
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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