________________ 304 सुशीलनाममालायां अस्ताघ मतलस्पृक चा,-स्थाघ मऽस्थाग' मित्यपि / .. अगाध मपि तन्नाम, यत् तलं न जनः स्पृशेत् // 1861 // गभीरं' गम्भोरं निम्न', मस्ताधार्थस्य वाचकम् / उत्तान' मुच्यते तत्र, यत्र किञ्चद् जलं भवेत् // 1862 // प्रच्छं' जलं प्रसन्नं स्या-दनच्छं' कलुषा२ ऽविले / * हिमनामानि 8. प्रवश्याय'स्तु प्रालेयं, तुषार स्तुहिनं हिमम् // 1863 // धूमिका धूमरी धूम-महिषो महिका तथा / मीहारो० मिहिका 1 चेति, नामानि तुहिनस्य वै // 1864 // .. * हिमानीनामानि ॐ हिमसन्तति' हिमानी', हिमराशी प्रयुज्यते / * समुद्रनामानि * समुद्रः' सागर: सिन्धु', स्तिमिकोशो महाशयः // 1865 // जलधि जलराशि इच, जलनिधि स्तथोदधिः / महोप्रावार उर्वङ्गो 1, वारिनिधि'२श्च वारिधिः 3 // 1866 // वारीशो'४ वारिराशि१५ श्च, सरस्वान् धरणीप्लव:'। प्रकूवारो' महाकच्छो१६, ऽकूपारो२० मकरालय:२१ // 1867 //