________________ 284 सुशोलनाममालायां * सम्मार्जनीनामानि * सम्मार्जनी' च वर्धनो२, शोधनी पवनी पुनः // 1745 // बहुकरी तथा ख्याता, गृहशोधक वस्तुनि / ॐ सङ्करनाम *. गृहप्रकीर्ण धूल्यादि सङ्करो' ऽवकरो' भवेत् // 1746 // * उदूखलनाम * . . धान्यादि कुट्टकं प्रोक्त,- मुदूखल'- मुलूखलम् / के प्रस्फोटननाम * . . पुन: प्रस्फोटनं' चैव, पवनं मन्यते किल // 1747 / / * कण्डननाम * धान्यादि कुट्टन कार्य,- मऽवघात' श्च कण्डनम् / * कटनाम उपवेशन कार्याय, किलिञ्जः' कथितः कट: // 1748 // ___ * मुमलनामानि * मुशलो' मुषल२ श्चैव, प्रसिद्धो मुसलो ऽपि वै। .. प्रायोग्रं चाप्ययोनिः स्तुः, नामापि मुसलस्य च // 1749 / /