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________________ चतुर्थस्तिर्यविभागः 271 * परिकूटनामानि * नगरद्वारकूट ' इच, नगरद्वारकूटक: / . परिकूट' हस्तिनख:२, पूर्धाराऽरोहरणस्थलम् // 1683 / / * मुखनाम * मुखं' निःसरणं प्रोक्त', गृहप्रवेशद्वारकम् / ॐ वाटनामानि * वाटो' वृत्ति श्च प्राचीन,-माऽवेष्टक श्च नाम वै // 1684 / / गृहस्य नगरस्यापि, क्रियते रक्षणाय यत् / * मार्गनामानि * पदविः' पदवी पद्या, पथः पन्था श्च पद्धतिः // 1685 // एकपदी च मार्गो ऽध्वा , वर्तनी वर्तनि:११ सृति:१२ / सरणिः१३ सरणी१४ वर्म१५, शरणी' निगम स्तथा॥१६८६॥ . अयनं 8 चेति नामानि, मार्गस्य संभवन्ति वै। / सत्पथनामानि * प्रतिपन्थाः' सुपन्था श्च, सत्पथः सुन्दरो भवेत् // 1687 / / * उन्मार्गनाम * अपन्थाः' श्चाऽपर्थ' नाम, भवेदुन्मार्ग एव हि / .......
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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