________________ पुरावचन [प ... वि० सं० 2026 की साल में मेरा चातुर्मास गढ़ सिवाना में हुआ / कोश रचना का चलता हुआ कार्य क्रमशः आगे बढता रहा। वि० सं० 2027 की साल में पाली चातुर्मास में इस ग्रन्थ रचना का कार्य 2824 श्लोकों में और प्रशस्ति के साथ 2848 श्लोकों में पूर्ण हुआ। इस ग्रन्थ को जिज्ञासु, संस्कृतज्ञ, विद्वान, अभ्यासीगण प्रादि अपनावें। इतना ही नहीं, किन्तु अध्ययन-अध्यापन में भी इसका उपयोग करें। श्री वीर स० 2502 वि० सं० 2032 चंत्र शुद 15 ( चैत्री पूर्णिमा ) - दि. 14-4-1976 विजयसुशीलसूरि श्रीफलवृद्धिपार्श्वनाथतीर्थ जैन धर्मशाला मेड़ता रोड़ (मारवाड़) राजस्थान