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________________ न] सुशीलनाममालायां (34) 'संस्कृत शब्दार्थ कौस्तुभ' कोश प्रकाशित हुआ है। (35) 'शब्दसागर' कोश भी प्रकाशित हुआ है। सदुपरान्त-हस्तलिखित 'शब्दरत्न समुच्चय', आयुर्वेदीय औषधि कोष', 'शालिग्रामौषध', 'हलायुधकोष', हिन्दी- 'अनेकार्थसंग्रहनामकोश', न्यायकोष', प्रोफेसर प्राप्टे कृत छोटी-बड़ी संस्कृत-अंग्रेजी डिक्षनरी' प्रादि अनेक कोश के अन्य विद्यमान हैं। संस्कृत व प्राकृत कोशों के कितने ही ग्रन्थों के विविध भाषा में अनुवाद होकर प्रकाशित हो चुके हैं। इसमें भी कलिकाल सर्वज्ञ श्रीमद्हेमचन्द्राचार्य विरवित 'अभिवान चिन्तामरिण कोश' पर 'चन्द्रोदयाभिध गूर्जर भाषा-टीका' प्राकृविद्विशारद सिद्धान्तमहोदधि पू० प्रा० श्रीमद्विजयकस्तूरसूरीश्वरजी म० श्री द्वारा रची हुई प्रकाशित है। प्रस्तुत 'सुशीलनाममाला' कोश की रचना प्राज से दस वर्ष पूर्व कलिकाल सर्वज्ञ श्रीमद् हेमचन्द्रसूरिजी महाराजश्री का बनाया हुआ 'अभिधान चिन्तामरिण कोश' जैसा संस्कृत भाषा में एक नूतन कोष बनाने की भावना मेरे अन्तःकरण में स्कुरायमान हुई। वि० सं० 2025 की सात में राजस्थान के मरुधर प्रदेश में प्राया हुमा जावाल में पूज्यपाद् प्राचार्यदेव श्रीमद्विजयदक्षसूरीश्वरजी गुरु महाराज के साथ में मेरा चातुर्मास हुआ। वहां पर मेरे वयोवृद्ध शिष्य मुनि श्री देवभद्रविजयजी ने इस कार्य को प्रारम्भ करने के लिए प्रेरणा की। पूर्वे भावना थी और पुनः प्रेरणा का निमित्त मिला। श्रीअभिधान चिन्तामणि कोश का पालंबन लेकर सोत्साह 'सुशीननाममाला' नाम से यह संस्कृत शब्दकोश ग्रन्थ का प्रारम्भ किया। मेरा चलता हुप्रा इस कार्य को देखकर पू० प्रा० गु० म० श्री प्रसन्न हुए /
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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