________________ 252 . सुशोलनाममालायां * कैवर्तनामानि * कैवतॊ धीवरो' दाशो', मत्स्यग्राही भवेत् पुनः / . * मत्स्यवेधननामानि * घडिशं' बडिश चैव, मत्स्यवेधन मित्यपि // 1573 / / मत्स्यवेधक लौहास्त्रं, कथ्यतेऽत्र सदा जनैः / * मत्स्यजालनाम मानायो' मत्स्यजाल' ञ्च, मत्स्यानां ग्राहको भवेत् // 1574 / / * मत्स्यबन्धनीनाम * गृहीत मत्स्यपात्रन्तु, कुवेणी' मत्स्यबन्धनी / ॐ शाकुनिकनाम * पक्षिणा घातकः प्रोक्तः शाकुनिको' जोवान्तकः // 1575 / / ॐ मांसिकनामानि * कौटिकः' खट्टिक श्चैव, वैतंसिक श्च मासिकः / सौनिक' श्चेति नामानि, मन्यन्ते मासिकस्य वै // 1576 / / . सना' पशुवधस्थानं, पशुबन्धनसाधनम् / / वीतंस' श्च वितंसो' वै, कथ्यते विबुधै रिह // 1577 / /