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________________ तृतीयो मत्यविभागः 237 * धान्यादिमापननाम * उभयाञ्जलिमानं वै, प्रसृतं' कुडवो ऽथवा / चतुभिः कुडवैः प्रस्थः', प्रोच्यते हि महीतले // 1488 // माढक' श्चतुभिः प्रस्थः, द्रोण' श्चतुभि राढकैः / खारी' षोडशभि ोणे, मन्यते व महीतले // 1486 // चतुविशत्यङगुलानां, हस्तो' भवति मापने / चतुर्हस्तस्तु विज्ञेयो, दण्डो' मापन कमणि // 1460 // दण्डानान्तु द्विसहस्र, कोशो' गव्यूत' मुच्यताम् / गव्यूतं' गोरुतं गव्या, गव्यूति श्च द्विक्रोशकः // 1461 // योजनं' तु चतुष्क्रोशर, . .. मार्गमापन कर्मणि // 1462 // * पाशुपाल्यनाम * पाशुपाल्यं' जीववृत्ति:२, पशुपालन कर्मणि / ____गोपालकनामानि * गोपालन कार्यरतो, गवीश्वरो' गवेश्वरः // 1463 // ... गोमान् गोमी च गोधुक्' तु गोसङ्खयः श्च वल्लवः / प्राभोर श्चापि गोपालो', गोप श्चेति हि मन्यते // 1464 // प्रसिद्धो ऽधिकृतो गोषु, गोविन्दः' कथ्यते बुधः / जाबाल' स्त्वजजीविको, बर्करस्य च पालकः / / 1465 // ..
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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