________________ 232 सुशीलनाममालायां * गण्यनाम * गरणनीयं गणेय व गण्यं संख्येय मित्यपि // 1456 / / . * संख्यानाम है संख्या नाम्ना प्रसिद्धोऽस्ति-एक द्वि त्रि क्रमाद्दश / एक दश शत ञ्चैव सहस्त्र मयुतं पुनः // 1457 // / लक्षश्च नियुतञ्च प्रयुतं कोटिरित्यपि। .. सर्व दशगुणं पूर्वात् ज्ञायते गण्यते जनः // 1458 / / अर्बुद दशकोटि श्चा,-ब्ज' च खर्व१ दशाब्जकम् / निखर्व 2 दशख वै, पुनः सङ्ख्यं महाम्बुजम् 3 // 1456 // अग्नेऽपि दशनिखर्व, शकु१४ दशमहाम्बुजम् / तथा वाद्धि:१५ समुद्रोऽपि, दशशङ्कु निगद्यते // 1460 // अन्त्यं 6 दशवाद्धिमान, मध्यं 7 दशान्त्यमानकम् / दशमध्यप्रमाणं च, पराद्धं '8 सङ्ख्यकं किल // 1461 / / कथ्यते पण्डितै लॊके, लॊके ऽस्मिन् गणनाक्रिया। असङ्खय' द्वीप-वार्डो-न्दु-सूर्यादिकं प्रवर्तते // 1462 // पुन श्च वर्तते विश्वे, पुद्गलाऽत्माद्यनन्तकम् / * नाविकभेदाः ॐ सांयात्रिक' स्तथा पोत-वणिक् च कथ्यते बुधैः // 1463 // .