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________________ तृतीयो मर्त्यविभागः * लाभवाम * 'लाभ:' फल ञ्च व्यापारे मूलावधिकप्रापस्ने / * विनिमयनाम * व्यतिहारो' विनिमयो नैमेयो नियम स्तथा // 14525 . परिदानं परावर्तों वैमेयः परिवर्तनम् / ॐ निक्षेपनाम से उपानिधि' श्च प्रख्यातो निक्षेपो न्यास इत्यपि // 1453 / / ... प्रतिदाननाम ॐ परिदानं' प्रतिदानं न्यासार्पण मपिस्मृतम् / . . क्रेयनाम * : क्रेतव्ये कथ्यते क्रेयं क्रय्यं न्यस्तं क्रयाय यत् // 1454 // पण्यनाम विक्रय परितव्यं च पण्य मित्येव कश्यते / ॐ सत्यापैननाम है सत्यापन' सत्यकार:२ सत्याकृति रिति पुनः // 1455 / / * विक्रयनाम के विपणो' विक्रयः' शब्दः प्रख्यातो बस्तु विक्रये।
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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