________________ पुरोवचन कोष सम्बन्धी विचारणा .. कोषस्येव महीपानां, कोषस्य विदुषामपि / उपयोगो महान् यस्मात्, क्लेल स्तेन विना भवेत् / / 1 / / विश्व में कोष की प्रावश्यकता सबको रहती है। कोष के बिना सारा व्यवहार अटक जाता है / चाहे वह द्रव्यकोष हो या ज्ञानकोष हो / देश, राष्ट्र और सम्राट का वैभव द्रव्य कोष से अबाधित रहता है। द्रव्यकोष बिना देश और राष्ट्र की उन्नति के कार्य अटक जाने पर राष्ट्र पराधीन बनता है और देश पायमाल हो जाता है। .. इसीलिए विश्व में द्रव्य कोष की अति प्रावश्यकता है। द्रव्यकोष से भी ज्ञान कोष विशिष्ट हैं / द्रव्य सामग्री होने पर भी मूर्ख जन ज्ञान के प्रभाव से दुर्दशा प्राप्त किए बिना नहीं रहते। इसके अनेक दृष्टांत-उदाहरण प्राज भी इतिहास के पृष्ठों पर दृष्टिगोचर होते हैं। ___ ज्ञानकोष- यह एक अद्भुत जीवन्त वस्तु है, दीपक के समान देदीप्यमान प्रकाशक है अर्थात् अज्ञानी जीवों के लिए सुन्दर मशाल है। शब्दकोष की आवश्यकता शब्दकोष के ज्ञान बिना विद्वानों या लेखकों, कवियों या वाचकों, व्याख्याताओं या विद्याभ्यासियों की प्रगति किस प्रकार से हो सकती है ? विविध विषयक वाङ्मय को समझने के लिए और अभिनव-नूतन साहित्य की रचना करने के लिए भी शब्द-वैभव की अवश्यमेव अपेक्षा रहती है। जिस तरह राजा-महाराजाओं को, राज्य संचालकों को और श्रीमन्तों-धनवानों आदि को प्रखूट अर्थकोष की अर्थात् धन-भंडार की प्रत्यन्त आवश्यकता अवश्य होती है, उसी तरह विद्वानों को,