________________ तृतीयो मर्त्य विभागः केशमध्यगत माल्यं, गर्भकं' कथ्यते किल // 1055 // प्रभ्रष्टकं शिखाम्बि, पुष्पमाला निगद्यते / ललामकं पुरोन्यस्तं, पुष्पमाला हि मन्यते // 1056 // वैकक्षं वक्षसि तिर्यक्, सापि माला हि कथ्यते। प्रालम्ब'-मृजुलम्बि च, माला हि मन्यते बुधैः // 1857 // सन्दर्भो' श्रन्थनं गुम्फो, ग्रन्थनं रचना' पुनः। . प्रतियत्नः५ परिस्यन्द:६, पुष्पमाला विशेषकः // 1058 // . ॐ तिलकनामानि 8 चित्रं च चित्रकं पुण्डः3, तिलकं च विशेषकः / पुन स्तमालपत्रं स्यात्, केशरादिसमाञ्चितन् // 1056 // * अवतंसनामानि * अवतंसो' वतंस श्चा-ऽऽपीड' चं शेखर 4 स्तथा / उत्तंसो पि च नामास्ति, शिरस: सजि कुत्रचित् // 1060 // के कर्णपूरनामानि * उत्तंस' श्चाऽवतंस श्च, कर्णपूरः श्रुतेः सजि / . * पत्रलेखानामानि * . . . पत्रभङ्गिः' पत्रभङ्गी२, पत्रलेखा पत्रलता // 1061 //