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________________ 82 सुशीलनाममालायां रात्रि वाचक शब्दा ये, हरिद्रा नामतः स्मृताः / * राजिकानामानि के क्षुताभिजनन.' क्षव:२, राजिका राजसर्षपः / / 628 // . असुरी' कृष्णिका चापि, व्यञ्जने स्वादकारिणी। धान्याकस्यनामानि * कुस्तुम्बरु' च धन्याकं२, धान्याक धान्यकं तथा // 626 // धन्या नानापि तक्यास्ति, ज्ञायता मल्लुका पुनः / ___* मरीचनामा'न * मरीचं' मरिचं कृष्णं, धार्मपत्तन मूषणम् // 630 // कोलकं बलितं चापि, वेल्लज यवनयिम् / द्वारवृत्तं 0 दशैतानि, कृष्णनामानि कथ्यते // 631 // * शुण्ठीनामानि * शुण्ठी' शुण्ठि२ स्तथा विश्वा, नागरं विश्वभेषजम् / तथा महौषध विश्वे, कथ्यते कोविदः किल // 632 / / . * पिप्पलीनामानि * पिप्पली' पिप्पलि: कृष्णा, कोला' च कृष्णतण्डुला / उपकुल्या कणा शौण्डी, वैदेही तीक्ष्णतण्डुला // 633 //
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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