________________ सुशीलनाममालायां तथाऽबद्धमुखो' दुष्टवचनः कथ्यते बुधैः / शुक्ल:' प्रियंवदः स्याद् वै, प्रियवाक् सैव कथ्यते // 516 // वदान्य' स्तु वदन्य श्च, दानशीलः स कथ्यते। अथ मूर्यो' यथाजातो', बालिशो मातृशासितः // 520 // . मातृमुख श्च मूढो ऽज्ञों, मन्द श्च नामजितः / बालो'• ऽमेधाः 1 विवर्ण श्च, वैधेय 3 श्च यथोद्गत:१४ // 521 // देवानांप्रिय-१५ जाल्मौ 16 वै, जडो१७ ऽनेड' श्च कथ्यते / मन्दः क्रियासु कुष्ठः' स्याद्, दीर्घसूत्री' चिरक्रियः // 522 // कर्मोद्यतः क्रियावान्' वै, कर्मक्षमोऽपि कथ्यते / तथाऽलङ्कर्मोण:२ किल, कर्मशूर' स्तु कर्मठ:२ // 523 // स्यात् कार्मः' कर्मशील' श्च, पुनस्तु तीक्ष्णकर्मकृत् / किलाऽऽयः शूलिक श्चैव, ज्ञेयो राभसिक स्तथा // 524 // अथ स्वङ्ग' स्तथा सिंह-संहननो' ऽपि मन्यते / स्यात् स्वतन्त्रः' स्वछन्द श्च, स्वैरी वै स्वरुचि स्तथा // 525 // अपावृतौ यथाकामी', तथापि निरवग्रहः / . स्वेच्छा' च स्वैरिता चैव, यदृच्छा मन्यते किल // 26 //