________________ 60 सुशीलनाममालायां ये नाट्येऽधिकृताः सन्ति, लोके पात्र ञ्च तान् विदुः / / / तत्तद्वेषोऽपि नाट्ये वै, मन्यते भूमिका किल // 41 // * नटनामानि * अथ नट:' कृशाश्वी च, शैलूषो भरत स्तथा। धर्मी पुत्र श्च शैलाली, तथा भरत पुत्रकः // 402 // जायाजीव श्च रङ्गाजीवो रङ्गावतारकः / कथ्यते सर्वकेशी११ च, चारण' स्तु कुशोलव:२ // 483 // भ्रकुंसः' स्यात् भ्र कुंप२ श्च भ्र कुशो भृकुस' स्तथा / स्त्रीवेषधारकः सोऽपि नाटके कथ्यते नटः // 484 // पुनः स्यात् पीठमर्द' श्च, वेश्याचार्य स्तथैव च। सूचकू:' सूत्रधारः२ स्यात्, स्थापको बीजदर्शक: // 45 // नन्दी' स्यात् पाठको नान्द्याः, पावस्थः' पारिपाश्विक:२ / विदूषक:' प्रहासी२ स्याद्, वासन्तिक' श्च प्रीतिदः // 486 // वहासिक स्तथा कैलिकिलः केलीकिल* श्च वै / अथ पल्लवक: षिङ्गः२, स्तथा विटोऽपि कथ्यते / प्रावुक' श्च पिता प्रोक्त, प्रावुत्त'-भावुको पुनः // 487 / /