________________ सुशीलनाममालायां अथौत्सुक्यं तथोत्कण्ठ, पायल्लक तथाऽरतिः। .. उत्कलिका तथोत्कण्ठा, रणरणक इत्यपि / 462 // हल्ले व श्चापि प्रोक्तार्थेऽऽवहित्या' ऽऽकार गोपनम् / आकारगूहनं गृहजालिका ऽवकुटारिका // 463 / / अवकुठारिका' चैव, स्यादऽवकटिका तथा। अनिष्टोत्प्रेक्षणं शङ्का', कथ्यते पण्डितैः सदा // 464 // अथाऽनवस्थिति' नाम, चापलं च तदेव स्यात् / तन्द्रा' ऽऽलस्य चकौसीद्य, स्याद् वै चित्तप्रसन्नता // 465 // ह्लादो' हर्षः प्रमोद श्च, प्रमदो मुच् च सम्मदः / प्रानन्दा 8 ऽऽनन्दथू प्रीति:१०, प्रामोद'' श्चापि कथ्यते॥४६६।। प्रय गर्व श्च दर्प श्च, मान श्चित्तोन्नतिः४ स्मय.५ / ममता चाभिमानः स्या, दहङ्कारो ऽवलिप्तता // 46 // अहमहमिका' ज्ञानं, युद्धादौ दृश्यते सदा / पाहोयुकाषिका दर्पात, या सा सम्भावनाऽऽत्मनि // 468 // अहं पूर्व मह पूर्वमिति स्यादहम्पूविका' / अहंप्रथमिका चैव, तथा ऽहमग्रिका किल // 469 / / उग्रत्वं चण्डताः स्याद् वै, ग्लानि' स्तु बलहीनता। प्रब ध:' स्याद् विनिद्रत्वं', दैन्यं' कार्पण्य' मुच्यते / / 470 // अथाऽऽयासः' प्रयास श्च व्यायाम श्च परिश्रमः / क्लम: क्लेशः श्रमो ऽपिस्या, दुन्मादी श्चित्तविप्लवः॥४७१॥