________________ अने बन्ने ज्ञानमंदिरोना व्यवस्थापकोनो पण आभार मानवो उचित धारीये छीये. 1 (क) वि. संवत् 1965 ना ज्येष्ठ मासमां लखेली, श्री वडोदरा जैन ज्ञानमंदिरनी प्रवर्तकनी महारान श्रीकान्तिविजयनी महाराजना शास्त्र संग्रहनी, श्रीयुत पंडित लालचन्द्र भगवान्दास गांधी द्वारा प्राप्त. 2 (ख) वि.संवत् १८९९ना ज्येष्ठ शुदि 13, मुनि अमृत विजये लखेली, श्रीविजयधर्मलक्ष्मी ज्ञानमंदिर आगरानी, अ० नं० 2749, विषय नं० 186. अन्तमा संशोधन करनार तेमज टिप्पण अने प्रस्तावना लखी आपनार उक्त मुनिरानो तथा पंडितजीनो अने प्रकाशन कार्य माटे आर्थिक सहायता माटे उपदेश आपनार मुनिराज श्रीविशालविजयजीनो तथा आर्थिक सहायता आपनारा सद्गृहस्थोनो उपकार मानवा साथे, जनता आ पुस्तकनो सारी रीते लाभ लइ अमारा परिश्रमने सफल करे एटलं इच्छी विरमीए छीए प्रकाशक.