________________ ... (11) खादृष्ट-यत्रसहिता निजभोग्यभागान् / उत्पादयन्त्वलमशेषकृतेश्वरेण .. __ क्लुप्तेन, सिध्यति फलेन हि कल्ल्यतेऽन्यत् // सब जीव अपने अदृष्ट (भाग्य) और यत्न से सब चीज को पैदा करते हैं, इसलिये सृष्टि का बनानेवाला एक ईश्वर है ऐसी झूठी कल्पना नहीं करनी चाहिये, सृष्टिकर्ता ईश्वर के विना भी जब अपना इष्ट होता है तब उसकी कल्पना निष्फल है।" (शास्त्रिजी कृत उत्तरपक्ष) "दृष्ट्वैकचेतननिदेशवशां प्रवृत्ति कार्ये लघावपि गृहे बहुचेतनानाम् / ब्रह्माण्डनिर्मितमनेककृतामपीच्छ- . बेकं समस्तविभुमीश्वरमाश्रयख // 47 // कुर्वन्तु काश्चन यथावरुचि प्रवृत्ती रेकाऽपि कापि परभीतिकृता प्रवृत्तिः। दृष्ट्वा कुटुम्बनगरस्थितचेतनेषु . -: यद्भीतिजाऽखिलकृतिः परमेश्वरः सः॥४८॥ तनित्यमिष्टमुपपत्तिमदन्यथाऽस्य हेत्वन्तरानुसरणे त्वनवस्थितिः स्यात् / नित्यं गतातिशयमीश इदं दधानः . . .