________________ देवद्रव्य भक्षण के प्रतिसुग श्रावकों को होती है / सुग चली न जावे इत्यादि अनेक हेतु से देव द्रव्य के या ज्ञान द्रव्य के मकान में किराये से भी रहना श्रावक के लिए उचित नहीं है। साधारण सम्बन्धि तुसंधानुमत्या यदि व्यापार्यत तदाऽपिलोकव्यवहाररीत्या घाटकमयीन तून्यूनम् // साधारण खाते के दुकान मकानादि में संघ की अनुमति से रह सकते हैं। फिर भी उसका किराया लोग - व्यवहार में जो हो उस मुताबिक देना चाहिये / कम देवे तोन चले। कम किराया देने वाला पापका भागी बनता है। गृहचैत्यनैवेद्यचोक्षादि तु देवगृहे मोच्यम् // श्राद्ध विधि ग्रन्थकार कहते हैं कि घर मंदिर में नैवेद्य चांवल सोपारी नारियल वगेरे जो कुछ आवे वह संघ के मन्दिर में दे देना चाहिए। . ___ कितनेक जगह पर घर मन्दिर में प्रभुभक्ति