________________ 1) गुरु भक्त - गुरुभगवन्त इसको देव द्रव्यादि धर्म द्रव्यादि का वहीवट ठीक तौर पर कैसे करना ? यह समझा सके तथा समझ कम हो तो जिनाज्ञा के विरुद्ध वहीवट करने से रोक भी सकें। (10) शुश्रूषादि बुद्धि के आठ गुण युक्त - इनसे धर्म तत्त्वों की जानकारी अच्छी प्राप्त होने से इन गुणवाले धर्म द्रव्यादिका वहीवट सोच समझ कर जिनाज्ञा के अनुसार कर सकते हैं। (11) देवद्रव्यादि की वृद्धि वगेरे के उपायों का ज्ञाता यह देव द्रव्यादि धर्म द्रव्य के वहीवट का एक भी कार्य जिनाज्ञा के विरुद्ध नहीं करेगा / श्री जैन संघ को ऐसे गुण सम्पन्न सुश्रावक को देव - द्रव्यादि धर्म द्रव्य के तथा मन्दिर उपाश्रयादि धर्म स्थानों के वहीवट मे ट्रस्टी तरीके वास्तव में अधिकारी होने से नियुक्त करना चाहिए।