________________ इस दृष्टान्त से यह बात सिध्द होती है कि देवद्रव्य का भक्षण हलाहल विष है। अनजान में भी भक्षण हो जावे तो इस जन्म में भी आदमी को नुकसान किये बिना नहीं रहता, तो जानबूझ के खाने वाले की क्या दशा होवे ! इससे सब श्रावकों को यही सीखने का है कि अधिक द्रव्य देकर भी देवद्रव्य की चीज अपने उपयोग में नही लेनी और परस्पर किसी को देनी भी नही। देवद्रव्य के भक्षणादि के बारे में शास्त्र में बहुत से द्रष्टान्त दिये हैं उनको वांचकर-सुनकर देवद्रव्य के भक्षणादि से बचने के लिए प्रयत्नशील बनना चाहिए। देव द्रव्य बाबत सभी सम्प्रदाय के मुनि सम्मेलन का एक निर्णय (1) मंदिर का पैसा (देवद्रव्य) मूर्ति बनाने व मंदिर निर्माण व जीर्णोध्दार सिवाय कही वापरना नही। .(2) प्रभुना मंदिर मां के बहार गमे ते ठिकाने प्रभुना निमित्ते जे जे बोली बोलाय ते सघलुं देव द्रव्य कहेवाय। (3) उपधान संबन्धी माला आदि नी उपज देव - #ORU 05