________________ द्रव्यमां लइ जवी योग्य जणाय छ / (4) श्रावकोए पोताना द्रव्यथी प्रभु पूजा वगेरेनो लाभ लेवो ज जोइए / परन्तु कोई स्थले अन्य सामग्रीना अभावे प्रभुनी पूजा आदिमां वांधो आवतो जणाय तो देव द्रव्य मांथी पण प्रभुनी पूजादि तो जरूर थवी जोइए / (7) तीर्थ अने मंदिरोना वहीवंटदारोए तीर्थ अने मंदिर सम्बन्धी कार्य माटे जरूरी मिल्कत राखी बाकीनी मित्कतमांथी तीर्थोध्दार अने जीर्णोद्धार तथा नवीन मंदिरो माटे योग्य मदद आपवी जोईए / ओम आ मुनि सम्मेलन भलामण करे छे. द. विजय नेमिसूरि / जयसिंह सूरि / विजयसिदिसूरि। आनंद सागर / विजय वल्लभ सूरि / विजयदान सूरि। विजयनीति सूरि। मुनि सागरचन्द / विजय भूपेन्द्र सूरि। अखिल भारत वर्षीय जैन श्वेतांबर मुनिसम्मेलने सर्वानुमते आ पटक रूपे नियमो कर्या छे. तेनो असल पट्टक शेठ आणंदजी कल्याणजी नी पेढीने सोप्यो छे. कस्तुरभाई मणिभाई श्री राजनगर जैन संघ वंडा वीला ता. 10-4-34 = 28 =