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________________ मन्दिर में दर्शन पूजन करने वालों की संख्या में वृद्धि होवे तथा उपाश्रय में सामायिकादि की आराधना करनेवालों की संख्या बढ़े और गुरु-महाराज के व्याख्यानादि में ज्यादा लोग उपस्थित होवे ऐसे प्रयत्न करते रहना चाहिये। जैन शासन के प्रभावना के महोत्सवादि कार्यों में प्रत्येक ट्रस्टी को सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिये। आजकल कई जगह पर ट्रस्टी वर्ग ट्रस्टी बनने के बाद कुछ ऐसे निष्क्रिय बन जाते हैं कि महोत्सवादि शासन - प्रभावना के प्रसंगों की बात तो बाजू में रखो लेकिन आवश्यक कार्यों के लिये ट्रस्टियों की बुलाई मीटिंग में भी उनकी उपस्थिति नहीं रहती / कोई भी कार्य में भाग नहीं लेते | यह अत्यन्त ही अनुचित है। संघ के प्रसंगोपस्थित कार्यों में भोग देकर भाग लेने की वृत्ति न होवे तो ऐसे आदमी को ट्रस्टी पद पर आरूढ ही नही होना चाहिये। हर ट्रस्टी को शासन के प्रत्येक कार्य में जिनागम - शास्त्र का अनुसरण करके संघ को बनाए रखना चाहिये और जैन संघ में विखवाद खडे न हों EO99105
SR No.004475
Book TitleSavdhan Devdravya Vyavastha Margadarshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshansuri
PublisherKumar Agency
Publication Year1994
Total Pages34
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size3 MB
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