________________ रकम शीघ्रतया संघ की पेढ़ी में भरपाई करनी चाहिए और लोगों में भी जो देवद्रव्यादि की रकम बकाया होवे उसकी स्वयं या मुनिम के व्दारा उघराणी करके वसूली करनी चाहिए। हर हमेशा मन्दिर में देवाधिदेव अरिहन्त परमात्मा के दर्शन पूजन करने चाहिए और मन्दिर की सारसंभाल रखके होती हुई आशातनाओं को दूर करनेकरवाने का प्रयास करना चाहिये / इसी तरह उपाश्रयादि धर्मस्थानों में भी हर रोज जाना चाहिये और उसकी साफ-सफाई वगैरे करवाने का ध्यान रखना चाहिये | उपाश्रय में गुरुमहाराज बिराजमान होवे तो प्रतिदिन उनको वन्दन करने जाना चाहिये तथा उनके प्रवधन सुनने चाहिये। उनके पास स्वयं जिस रीति से वहीवट करते हो उसकी जानकारी देनी चाहिये | उसमें जो भुलचूक बतावे उसका सुधारा करना चाहिये / धर्मस्थानों का वहिवट करने की विधि के बताने वाले शारत्र अवसर पर सुनने चाहिये। प्रत्येक ट्रस्टी का फर्ज है कि ट्रस्टी बनने पर 2090E