________________ नयसारः सौधर्मे, मरीचिर्ब्रह्मे च कौशिकः सुधर्मे / भ्रान्त्वा पुष्पमित्रः, सुधर्मेऽग्निद्योत ईशाने // 31 // अग्निभूतिस्तृतीयकल्पे, भारद्वाजोमाहेन्द्रे संसारे / स्थावरोब्रह्मे भवे वि-श्वभूतिः शुक्रे त्रिपृष्ठहरिः // 32 // अप्रतिष्ठाने सिंहो-नरके भ्रान्त्वा चक्रिप्रियमित्रः / शुक्रे नन्दननृपतिः, प्राणतकल्पे महावीरः // 33 // सत्तण्हमिमे भणिआ, पयडभवा तेसि सेसयाणं च / तइयभवदीवपमुहं, नायवं वक्खमाणाओ // 34 // सप्तानामिमे भणिताः, प्रकटभवास्तेभ्यःशेषाणाम् / तृतीयभवद्वीपप्रमुखं, ज्ञातव्यं वक्ष्यमाणतः // 34 // जंबू 4 धायइ 8 पूक्खर 12, दीवा चउ चउ जिणाण पुत्वभवे / धायइ विमलाइतिगे 15, जंबूसंतिप्पमुहनवगे // 24 // 35 // जंबूधातकीपुष्कर-द्वीपाश्चतुश्चतुर्जिनानां पूर्वभवे / * धातकी विमलादित्रिके, जम्बूः शान्तिप्रमुखनवके // 35 // बारस पुवविदेहे, 12 तिन्नि कमा भरह 13 एरवय 14 भरहे 15 / पूनविदेहे तिन्नि अ 18, मल्लिवरविदेहि 19 पणभरहे // 24 // 36 / / मज्झिममेरुनगाओ, धायइपुक्खरगयाई भरहाई। खित्ताई पुवखंडे, खंडवियारो न जंबुम्मि // 37 // द्वादश पूर्व विदेहे, त्रयःक्रमाद्भरतैरवतभरतेषु / पूर्वविदेहे त्रयश्च, मल्लिःपरविदेहे पञ्च भरते // 36 //