________________ पहसंत गिलाणेसु, आगमगाहीसु तह य कयलोए / उत्तरपारणगंमि अ, दिण्णं सुबहुफलं होइ // 835 // कालंमि कीरमाणं, किसिकम्मं बहुफलं जहा भणि। इअ सव्वच्चिअ किरिआ, निअनिअकालंमि कायव्वा / / 836 // नाणं सिक्खइ नाणं-गुणेइ नाणेण कुणइ किच्चाई। नाणी नवं न बंधइ, नाणविणीओ हवइ तम्हा // 837 / / विण) सासणे मूलं, विणीओ संजओ भवे / विणयोओ विप्पमुक्कस्स, कओ धम्मो को तवो ? // 838 // विज्जा विनाणं वा, मिच्छाविणएण गिहिउँ जो उ / अवमन्नइ आयरियं, सा विज्जा निप्फला तस्स / / 839 // बहु मन्नइ आयरियं, विणयसमग्गो गुणेहिं संजुत्तो / इअ जा गहिआ विज्जा, सा सफला होइ लोगम्मि / / 840 // रुवेसु जो गिद्धिमुवेइ तिव्यं, अकालिअंपावइ से विणासं / रागाउरे से जह वा पगंगें, ओलोअलोले समुवेइ मच्चु // 841 / / आसन्नसिद्धिआणं, विहिपरिणामो उ होइ सयकाल / विहिचाउ अविहिभत्ती, अभव्यजिअदूरभव्वाणं // 842 // अनिआणस्स विहीए, तवस्स तविअस्स किं पसंसामो?। किज्जइ जेण विणासो, निकाइआणंपि कम्माणं // 843 // भवणं जिणस्स न करो, नय बिंबं नेव पूइआ साहू / दुद्धरवयं न धरिअं, जम्मो परिहारिओ तेहिं // 844 / /