________________ चेइय-कुल-गण-संघे, उवयारं कुणइ जो अणासंसी / पत्तेयबुद्ध-गणहर-तित्थयरो वा तओ होइ // 987 // जम्हा दंसणनाणा, संपुण्णफलं न दिति पत्तेयं / चारित्तजुआ दिति उ, विसिस्सए तेण चारितं // 988 // रिद्धीए पडिबद्धा, हवंति केइ हु अवि असंतीए / संतीएवि न केई, दुण्हमहो अंतरं तेसिं / / 989 / / दिक्खा सिक्खा वि तहा, सहला आराहणेण चेव हवे / अन्नह दिक्खा भिक्खा सिक्खा, सव्वा उ गलसोसो / / 990 // दव्वओ खित्तओ चेव, कालओ भावओ तहा / जयणा चउब्विहा वुत्ता, तं मे कित्तयओ सुणे // 991 / / दवओ चनखुसा पेहे, जुगमित्तं च खेत्तओ / कालओ जाव रीइज्जा, उवउत्ते अ भावओ / / 992 / / जियउ व मरउ व जीवो, अजयाचारस्स निच्छओ हिंसा / पययस्स नत्थि बंधो, हिंसामित्तेण समिअस्स / / 993 / / रुसउ वा परो मा वा, विसं वा परिअत्तउ / भासिअव्वा हिआ भासा, सपक्खगुणकारिआ / / 994 / / समिओ निअमा गुत्तो, गुत्तो समिअत्तणमि भइअव्वा / कुसलवइमुदीरंतो, जं वइगुत्तोऽवि समिओऽवि // 995 / / अथिरं पि थिरं वंकंपि-उज्जुअं दुल्लहपि तह सुलहं / दुस्सझं पि सुसज्झं, तवेण संपज्जए कज्जं // 996 / / सव्वासिं पयडीणं, परिणामवसादुवकमो भणिओ / पायमनिकाइआणं, तवसा उ निकाइआणं पि // 997 / /