________________ साहूण वि भत्तीए, कल्लाणपरंपरं लहइ जीवो / तह सम्म सुद्ध, जायइ णत्थित्थ संदेहो / / 976 // पयईए णाऊण कम्माण वा विवागमसुहं ति / अवरद्धे वि ण कुप्पइ उवसमओ सव्वकाल पि // 977 // सावज्ज-ऽणवज्जाणं, वयणाण जो न याणइ विसेसं / वोत्तुं पि तस्स ण खमं, किमंग उण देसण काउ // 978 // भवसयसहस्समहणो, विवोहगो भवियपुडरीयाण / धम्मो जिणपण्णत्तो, पकप्पजइणा कहेयव्यो / / 979 / / बहुभवकोडिविरइयकम्ममहासेलदलणवरकुलिसं / पाविज्जइ सम्मत्तं, उवज्जिए पुण्णसंघाए // 980 // भूएसु जंगमतं, तेसु वि पंचेंदियत्तमुक्कोसं / तत्तो वि य माणुस्सं, माणुस्से आरिओ देसो // 981 // देसे कुलं पहाणं, कुले पहाणा य जाइ उक्कोसा / तीय वि रुवसमिद्धी, रुवे वि बलं पहाणयरं // 982 // होइ बले वि य जीयं, जीये वि पहाणयं तु विण्णाणं / विण्णाणे सम्मत्तं, सम्मत्ते सील संपत्ती // 983 // सीले खाइयभावे, खाइयभावे वि केवलं गाणं / केवलिए पडिउण्णे, पत्ते परमक्खरे मोक्खो // 984 // पवरेहिं साहणेहि, पायं भावो वि जायए पवरो / नं य अण्णो. उवओगो, एएसिं सयाण लट्ठयरो // 985 // इट्ठाणं वत्थूणं पियजणमाईण विप्पओगम्मि / जायइ गरुयं दुक्खं, एगं मोत्तूण गयरागं // 986 //