________________ 95 पइदिअहं चित्र, नवनवमभिग्गहं चिंतयंति मुणिसीहा / जीअंमि जओ भणिअं, पच्छित्तमभिग्गहाभावे // 998 // बारसविह मिवि तवे सभिंतरबाहिरे कुसलदिटूठे / नवि अत्थि नवि अ होही. सज्झाय समं तवोकम्मं / / 999 / / जहासागडिओ जाण, समं हेच्चा महापहौं / विसमं मग्गमोइण्णो, अनखे भग्गंमि सोयइ / / 1000 / एव धम्म विउकम्म, अहम्म पडिवज्जिया / / बाले मच्चुमुह पत्ते, अखे भगेव सोयई / / 1001 / / बालस्स पस्स बालतं, अहम्म पडिवज्जिा / चिच्चा धम्म अहम्मिट्टे, नरएसु उववज्जइ // 1002 / / धीरस्स पस्स धीरतं, सव्वधम्माणुवत्तिणो / चिच्चा अहम्म धम्मिठे, देवेसु उववज्जइ // 1003 // जयसिरिवछिय सुहये, अणिट्ठहरणे तिवग्गसारांमि / इह परलोअहियत्थं, सम्म धम्म मि उज्जमह // 1004 // नेव दारं पिहावेइ, भुंजमाणो सुसावओ। अणुकंपा जिणिंदेहि, सड्ढाणं न निवारिया // 1005 / / तं अत्थं तं च सामत्थं, तं विन्नाणं च सुत्तम / साहम्मियाण कज्जमि, जौं वप्पति सुसावया // 1006 // साहम्मियाण वच्छल्ल', कायव्य भत्तिनिन्भरं / देसिय सव्वद सीहि, सासणस्स पभावगं // 1007 / / साहम्मियम्मि पत्ते, नियगेहे जस्स होइ न हु नेहो / जिणसासणभणियमिण, सम्मत्ते तस्स संदेहो // 1008 / /