________________ 75 उवएसमाला (6) छल छोम संवइयरो, गूढायारत्तण मई कुडिला / वीसंभघायणं पिय भवकोडिसएसुविनडंति // 307 // युग्मम् // लोभो अइसंचयसीलया य किलिट्ठत्तणं अइममत्तं / कप्पन्नमपरिभोगो. नट्ठविनढे य आगल्लं // 308 / / मुच्छा अइबहुधणलोभया य तब्भावभावणा य सया। बोलंति महाघोरे,, जरमरणमहासमुद्दमि // 309 // युग्मम् // एएसु जो न वट्टिजा (वढे), तेणं अप्पा जहट्ठिओ नाओ। मगुआण माणणिज्जो, देवाणवि देवयं हुज्जा // 310 // जो भासुर भुअंगं, पयंडदाढाविसं विघटेइ / तत्तो चिय तस्संतो रोसभुअंगोवमाणमिणं // 311 // जो आगलेइ मत्तं, कयंतकालोवमं वणगइंदं / सो तेणं चिय छुज्जइ, माणगइंदेण इत्थुवमा // 312 // विसवल्लिमहागहणं, जो पविसइ साणुवायफरिसविसं / सो अचिरेण विणस्सइ, माया विसवल्लिगहणसमा // 313 // घोरे भयागरे सागरम्मि तिमिमगरगाहपउरम्मि / जो पविसइ सो पविसइ, लोभमहासागरे भीमे // 314 // गुणदोसबहुविसेसं, पयं पयं जाणिऊण नीसेसं / दोसेसु जगो न विरज्जइत्ति कम्माण अहिगारो // 315 // अट्टहासकेलीकिलत्तणं हासखिड्डजमगरई / कंदप्पं उपहसगं, परस्स न करंति अगगारा // 316 // साहूणं अप्परुइ, ससरीरपलोअणा तवे अरई / सुत्थिअवन्नो अइपहरिसो य नत्थी सुसाहूणं // 317 //