________________ श्रुत रत्नरत्नाकरे .. पासपायट्टा। संझरागजलबुब्बुओवमे, जीविए अ जलबिंदुचंचले। जुव्वणे य नइवेगसंनिभे, पाव जीव ! किमयं न बुज्झसि ? // 20 // जं जं नजइ अमुई, लज्जिज्जइ कुच्छणिज्जमेयंति / तं तं मग्गइ अंगं, नवरमणंगुत्थ पडिकूलो // 209 // सव्वगहाणं पभवो, महागहो सव्वदोसपायट्टी। कामग्गहो दुरप्पा, जेणभिभूयं जगं सव्वं // 210 // जो सेवइ किं लहइ, थामं हारेइ दुब्बलो होइ / पावेइ वेमणसं, दुक्खाणि अ अत्तदोसेणं // 211 // जह कच्छुल्लो कच्छं, कंडुयमाणो दुहं मुणइ सुक्खं / मोहाउरा मणुस्सा, तह कामदुहं सुहं बिंति // 212 / / विसयविसं हालहलं, विसयविसं उक्कडं पियंताणं / विसयविसाइन्नंपिव, विसयविसविसूइया होई // 213 // एवं तु पंचहिं आसवेहिं रयमायणित्तु अणुसमयं / चउगदुहपेरंतं, अणुपरियट्ठति संसारे // 214 // सव्वगईपक्खंदे, काहंति अणतए अकयपुण्णा / जे य न सुणंति धम्मं, सोऊण य जे पमायति // 215 / / अणुसिट्ठा य बहुविहं, मिच्छद्दिट्टी य जे नरा अहमा / बद्धनिकाइयकम्मा, सुगंति धम्मं न य करंति // 216 // पंचेव उज्झिऊणं,पंचेव य रक्खिऊण भावेणं / कम्प रयविप्पमुक्का, सिद्धिगइमणुत्तरं पत्ता // 217 // नाणे दंसणचरणे, तवसंजमसमिइगुत्तिपच्छित्ते / . दमउस्सग्गववाए, दव्वइअभिग्गहे चेव // 218 // .