________________ 65 उवएसमाला (6) जीवेण जाणि विसज्जियाणि जाईसएसु देहाणि / थोवेहिं तओ सयलंपि तिहुयणं हुज्ज पडिहत्थं // 197 // नहदंतमंसकेसट्ठिएसु जीवेण विप्पमुक्केसु / तेसुवि हविज कइलासमेरुगिरिसन्निभा कूडा // 198 // हिमवंतमलयमंदरदीवोदहिधरणिसरिसरासीओ। अहिअयरो आहारो, छुहिएणाहारिओ होजा // 199 / / जंणेण जलं पियं, घम्मायवजगडिएण तंपि इहं / सव्वेसुवि अगडतलायनईसमुद्देसु नवि हुज्जा // 20 // पीयं थणयच्छीरं,सागरसलिलाओ होज्ज बहुअयरं / संसारम्मि अगंते,माऊणं अन्नमन्नाणं // 201 // पत्ता य कामभोग,कालमणंत इहं संउवभोगा। अप्पुव्वं पिव मन्नई,तहवि य जीवो मणे सुक्खं // 202 // जाणइ अ जहा भोगिड्ढिसंपया सव्वमेव धम्मफलं / तहवि दढमूढहियओ, पावे कम्मे जणो रमई // 203 // जाणिजइ चिंतिजइ , जम्मजरामरणसंभवं दुक्खं / न य विसएसु विरजई, अहो सुबद्धो कवडगंठी // 204 / / जाणइ य जह मरिजइ, अमरंतंपि हु जरा विणासेई / न य उब्विग्गो लोओ, अहो रहस्सं सुनिम्मायं // 205 // दुपयं चउप्पयं बहुपयं च अपयं समिद्धमहणं वा / अणवकएऽवि कयंतो, हरइ हयासो अपरितंतो।।२०६॥ न य नज्जइ सो दियहो, मरियव्वं चाऽवसेण सव्वेण / आसापासपरद्धो, न करेइ य जं हियं बज्झो // 207 //