________________ श्रुस रामस्नाकरे गुरु गुरुतरो अ अइगुरु, पिय-माइ-अवञ्च-पियजणसिणेहो। चिंतिज्जमाणगुविलो, चत्तो अइधम्मतिसिएहिं // 142 // अमुणियपरमत्थाणं बंधुजणसिणेहवइयरो होइ। अवगयसंसारसहावनिच्छ्याण समं हिंययं // 143 // माया पिया य भाया, भजा पुत्ता सुहीं यःनियमाय / इह चेव बहुविहाई, करंति. भयवेमणस्साई॥१४४॥ माया नियगमइविंगप्पियम्मि अत्थे अपूरमाणम्मि / पुत्तस्स कुणइ वसणं, चुलणी जह बंभदत्सरस // 14 // सव्वंगोवंगविगसणाओ जगडणविहेडणाओ अ। कासी य रजसिसिओ पुत्ताण पिया कणयकेऊ // 14 // विसयसुहरागवसओ, घोरो भायाऽवि भावरं हणइ / आहाविओ वहत्थे, जह बाहुबलिस्स भरहवई // 147 // भज्जाऽवि इंदियविगार-दोसनडिया करेइ पइपावं / जह सो पएसिराया सूरियकंताई तह वहिओ // 14 // सासयसुक्खतरस्सी, नियअंगसमुब्भवेण पियपुत्तो / जह सो सेणियराया, कोणियरण्णा खयं नीओ // 149 // ' लुद्धा सकजतुरिआ, सुहिणोऽवि विसंवयंति कयकजा / जह चंदगुत्तगुरुणा, पव्वयओ घाइओ राया // 150 // निययाऽवि निययकज्जे, विसंवयंतम्मि हुति खरफरुसा / जह रामसुमूमकओ, बंभक्खत्तस्स आसि खओ // 151 // कुलघरनिययसुहेसु अ, सयणे अ जणे अ निच्च मुणिर्वसहा / विहरंति अणिस्साए, जह अज्जमहागिरी भयवं // 152 //