________________ उवएसमाला (6) कलहण-कोहणसीलो भंडणसीलो विवायसीलो य / जीवो निच्चुज्जलिओ, निरत्थयं संयमं चरइ // 131 // जह वणदवो वर्ण दवदवस्स जलिओ खणेण निदहइ / एवं कसायपरिणओ, जीवो तवसंजमं देहइ // 132 // परिणामवसेण पुणो, अहिओ ऊणयरओ व हुन्ज खओ। तहवी ववहारमित्तेण, भण्णइ इमं जहा थूलं // 133 // फरुसवयणेण, दिणतवं, अहिक्खिवंतो अ हणइ मासतवं / वरिसतवं सवमाणो, हणइ हणतो अ सामण्णं // 134 // अह जीविअं निकिंतइ, हंतूण य संजमं मलं चिणइ / जीवो पमायबहुलो, परिभमइ अ जेण संसारे // 135 // अक्कोसण-तज्जण-ताडणा य अवमाणहीलणाओ अ / मुणिणो मुणियपरभवा दढप्पहारिव्व विसहंति // 136 // अहमाहओत्ति न य पडिहणंति सत्ताऽवि न य पडिसवंति / मारिजंताऽवि जई; सहति साहस्समल्लुव्व // 137 // दुजणमुहकोदंडा, वयणसरा पुव्वकम्मनिम्माया / साहूण ते न लग्गा, खंतीफलयं वहंताणं // 138 / / पत्थरेणाहओ कीवो, पत्थरं डक्कुमिच्छइ / मिगारिओ सरं पप्प, सरुप्पत्तिं विमग्गइ // 139 // . तह पुट्वि किं न कयं, न बाहए जेण मे समत्थोऽवि ? / इण्हि किं कस्स.व कुप्पिमुत्ति धीरा अणुप्पिच्छा // 140 // अणुराएण जइस्सऽवि, सियायपत्तं पिया धरावेइ / तहवि य खंदकुमारो, न बंधुपासेहिं पडिबद्धो // 141 //