________________ उवएसमाला (6) जंतं कयं पुरा पूरणेण अइदुक्करं चिरं कालं / जइं तं दयावरो इह, करिंतु तो सफलयं हुतं / / 109 // कारणनीयावासी, सुठ्ठयरं उज्जमेण जइयव्वं / जह ते संगमथेरा, सपाडिहेरा तया आसी // 110 // एगंतनियावासी, घरसरणाईसु जइ ममत्तंपि / कह न पडिहंति कलिकलुस-रोसदोसाण आवाए // 111 // अविकत्तिऊण जीवे, कत्तो घरसरणगुत्तिसंठप्पं / अवि कत्तिआ य तं तह, पडिआ अस्संजयाण पहे // 112 // थोवोऽवि गिहिपसंगो, जइणो सुद्धस्स पंकमावहई / जह सो वारत्तरिसी, हसिओ पज्जोअनरवइणा // 113 // सब्भावो वीसंभो, नेहो रइवइयरो अ जुवइजणे / सयणघरसंपसारो, तवसीलवयाई फेडिज्जा // 114 // जोइस-निमित्तअक्खर-कोउआएस-भूइकम्मेहिं / करणाणुमोअणाहि अ, साहुस्स तवक्खओ होइ / / 115 // जह जह कीरइ संगो, तह तह पसरो खणे खणे होइ। थोवोवि होइ बहुओ, न य लहइ धिई निरुंभंतो // 116 // जो चयइ उत्तरगुणे, मूलगुणेऽवि अचिरेण सो चयइ। जह जह कुणइ पमायं, पिल्लिजइ तह कसाएहिं / / 117 // जो निच्छएण गिण्हइ, देहच्चाएवि न य धिइं मुअइ / सो साहेइ सकजं, जह चंदवडिंसओ राया // 118 / / सीउण्हखुप्पिवासं, दुरिसज्जपरीसहं किलेसं च / जो सहइ तस्स धम्मो, जो धिइमं सो तवं चरइ // 119 //