________________ उवएसमाला (6) सुंदरसुकुमालसुहोइएण विविहेहिं तवविसेसेहिं / तह सोसविओ अप्पा जह नवि नाओ सभवणेऽवि // 8 // दुक्करमुद्धोसकर, अवंतिसुकुमालमहरिसीचरियं / अप्पावि नाम तह तज्जइत्ति अच्छेरयं एअं // 88 // उच्छूढसरीरघरा, अन्नो जीवो सरीरमन्नंति / धम्मस्स कारणे सुविहिया सरीरंपि छड्डेति // 89 // एगदिवसंपि जीवो, पव्वज्जमुवागओ अनन्नमणो / जइवि न पावइ मुक्खं, अवस्स वेमाणिओ होइ // 10 // सीसावेढेण सिरम्मि वेढिए निग्गयाणि अच्छीणि / मेयजस्स भगवओ, न य सो मणसावि परिकुविओ // 11 // जो चंदणेण बाई, आलिंपइ वासिणा वि तच्छेइ / संथुणइ जो अ निंदइ, महरिसिणो तत्थ समभावा // 92 // सिंहगिरिसुसीसाणं, भदं गुरुवयणसद्दहंताणं / वयरो किर दाही वायणत्ति न विकोविअं वयणं // 93 // मिण गोणसंगुलीहिं, गणेहि वा दंतचक्कलाइं से / इच्छंति भाणिऊणं, (भाणियव्वं) कजं तु त एव जाणंति // 94 // कारणविऊ कयाई, सेयं कायं वयंति आयरिया / तं तह सद्दहिअव्वं भविअव्वं कारणेण तहिं // 95 // जो गिण्हइ गुरुवयणं, भण्णंतं भावओ विसुद्धमणो / ओसहमिव पिज्जंतं, तं तस्स सुहावहं होइ // 16 // अणुवत्तगा विणीआ, बहुक्खमा निच्चभत्तिमंता य / गुरुकुलवासी अमुई, धन्ना सीसा इह सुशीला // 97 / /