________________ उवएसमाला (6) पागडियसव्वसल्लो, गुरुपामूलम्मि लहइ साहुपयं / अविसुद्धस्स न वढ्डइ, गुणसेढी तत्तिया ठाइ // 65 // जइ दुक्करदुक्करकारउत्ति भणिओ जहट्ठिओ साहू / तो कीस अजसंभूअविजयसीसेहिं नवि खमिअं ? // 66 // जइ ताव सव्वओ सुंदरुत्ति कम्माण उवसमेण जई। धम्मं वियाणमाणो, इयरो किं मच्छरं वहइ 1 // 6 // अइसुट्ठिओत्ति गुणसमुइओत्ति जो न सहइ जइपसंसं / सो परिहाइ परभवे, जहा महापीढपीढरिसी // 6 // परपरिवायं गिण्हइ, अट्ठमयविरल्लणे सया रमइ / डज्झइ य परसिरीए, सकसाओ दुक्खिओ निचं // 69 // विग्गहविवायरुइणो, कुलगणसंघेण बाहिरकयस्स / नत्थि किर देवलोएवि देवसमिईसु अवगासो // 7 // जइ ता जणसंववहारवज्जियमकज्जमायरइ अन्नो। जो तं पुणो विकत्थइ, परस्स वसणेण सो दुहिओ // 1 // सुठुवि उज्जव (म) माणं, पंचेव करिति रित्तयं समणं / अप्पथुई परनिंदा, जिब्भोवत्था कसाया य // 72 // परपरिवायमईओ, दूसइ वयणेहिं जेहिं जेहिं परं / ते ते पावइ दोसे, परपरिवाई इअ अपिच्छो // 73 // थद्धा छिद्दप्पेही, अवण्णवाई सयंमई चवला / वंका कोहणसीला, सीसा उव्वेअगा गुरुणो // 74 // जस्म गुरुम्मि न भत्ती, न य बहुमाणो न गउरवं न भयं / नवि लज्जा नवि नेहो, गुरुकुलवासेण किं तस्स ? // 5 //