________________ श्रुत रत्नरत्नाकरे mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm विजाहरीहिं सहरिसं, नरिंददुहियाहि अहमहंतीहिं / जं पत्थिज्जइ तइया, वसुदेवो तं तवस्स फलं // 54 // सपरक्कमराउलवाइएण सीसे पलीविए निअए। गयसुकुमालेण खमा, तहा कया जह सिवं पत्तो // 55 // रायकुलेसुऽवि जाया, भीया जरमरणगब्भवसहीणं / साहू सहंति सव्वं, नीयाणऽवि पेसपेसाणं // 56 // पणमंति य पुव्वयरं कुलया, न नमंति अकुलया पुरिसा। पणओ इह पुचि जइजणस्स जह चक्कवट्टिमुणी-॥५५॥ जह चक्कवट्टिसाहू सामाइअसाहुणा निरुवयारं / . भणिओ न चेव कुविओ, पण बहुअत्तणगुणेणं // 28 // ते धन्ना ते साहू, तेसि नमो जे अकजपडिविरया / धीरा वयमसिहारं, चरंति जह थूलिभद्दमुणी // 59 // विसयासिपंजरंमिव, लोए असिपंजरम्मि तिक्खम्मि / सिंहा व पंजरगया, वसंति तवपंजरे साहू // 60 // जो कुणइ अप्पमाण, गुरुवयणं न य लएइ उवएसं / सो पच्छा तह सोअइ, उवकोसघरे जह तवस्सी // 61 // जिट्ठव्वयपव्वयभरसमुव्वहण-ववसिअरस अञ्चतं / जुवइजणसंवइयरे, जइत्तणं उभयओ भर्से // 62 // जइ ठाणी जइ मोणी, जइ मुंडी वक्कली तवस्सी वा / पत्थन्तो अ अबंभ, बंभावि न रोयए मज्झं // 33 // तो पढियं तो गुणियं, तो मुणियं तो अ चेइओ अप्पा। आवडियपेल्लियामंतिओऽवि जइ न कुणइ अकजं // 6 //