________________ भत्तारिणापयन्नो (3) कोहेण नंदमाई निहया माणेण परसुरामाई / मायाइ पंडरज्जा लोहेणं लोहनंदाई // 153 / / इंअ उवएसामय-पाणएण पल्हाइअम्मि चित्तमि / जाओ सुनिव्वओ सो पाऊण व पाणिअंतिसिओ // 154 // इच्छामो अणुसटिं भंते ! भवपंक-तरणदढलहिँ / जं जह उत्तं तं तह करेमि विणओणओ भणइ // 15 // जइ कहवि असुहकम्मोदएण देहम्मि संभवे विअणा / अहवा तण्हाईआ परीसहा से उदीरिज्जा // 156 // निद्धं महुरं पल्हायणिज-हिअयंगमं अगलिअं च। तो सेहावेअन्धो सो खबओ पन्नवतेणं // 157 / / संभरसु सुअण ! जं तं मझमि चउव्विहस्स संघस्स / बूढा महापइन्ना अहयं आराहइस्सामि // 158 / / अरिहंत-सिद्ध-केवलि-पञ्चक्खं सव्वसंघ-सक्खिस्स / पञ्चक्खाणस्स कयस्स भंजणं नाम को कुणइ ? // 159 // भालंकीए करुण खजंतो घोरविअणत्तोवि / आराहणं पवन्नो झागेण अवंतिसुकुमालो // 160 // मुग्गिल्लगिरिमि सुकोसलोऽवि सिद्धत्थदइअओ भयवं / वग्धीए खजतो पडिवन्नो उत्तमं अटुं // 16 // गुढे पाओवगओ मुबंधुणा गोमए पलिअम्मि / डझंतो चाणको पडिवन्नो उत्तमं अढें // 162 // अवलंबिऊण सत्तं तुमंपि ता धीर ! धीरयं कुणसु / भावेसु अ नेगुन्नं संसारमहासमुद्दस्स // 163 //