________________ श्रुत रत्नरत्नाकरे भत्तिं च कुणसु तिव्वं गुणाणुराएण वीअरायाणं / तह पंचनमुक्कारे पवयणसारे रई कुणसु // 54 // सुविहिअहिअनिज्झाए सज्झाए उज्जुओ सया होसु / निच्चं पंचमहव्वयरक्खं कुण आयपञ्चक्खं // 55 // उज्झसु निआणसल्लं मोहमहल्लं सुकम्मनिस्सलं / दमसु अ मुर्णिदसंदोहनिदिए इंदिअमयदे // 56 // निव्वाणसुहावाए विइन्ननिरयाइदारुणावाए / हणसु कसायपिसाए विसयतिसाए सइसहाए // 54 // काले अपहुप्पंते सामन्ने सावसेसिए इण्हि / मोहमहारिउदारणअसिलठ्ठि सुणसु अणुसदिछ // 58 / / संसारमूलवीअं मिच्छत्तं सव्वहा विवज्जेहि / , सम्मत्ते दढचित्तो होसु नमुक्कारकुसलो अ // 59 // मगतिण्हिआहि तो मन्नंति नरा जहा सतण्हाए। सुक्खाई कुहम्माओ तहेव मिच्छत्तमूढमणो // 60 // नवि तं करइ अग्गी नेअ विसं नेअ किण्हसप्पो अ। जं कुणइ महादोसं तिव्वं जीवस्स मिच्छत्तं // 31 // पावइ इहेव वसणं तुरुमिणिदत्तुन्व दारुणं पुरिसो। मिच्छत्तमोहिअमणो साहुपओसाउ पावाओ // 6 // मा कासि तं पमायं सम्मत्ते सव्वदुक्खनासणए / जं सम्मत्तपइट्ठाई नाणतवविरिअचरणाई // 63 // भावाणुरायपेमाणुरायसुगुणाणुरायरत्तो अ / धम्माणुरायरत्तो अ होसु जिणसासणे निञ्चं // 64 / /