________________ भत्तपरिणापयन्नो (3) जावजीवं तिविहं आहारं वोसिरइ इहं खरगो / निजवगो आयरिओ संघरस निवेअणं कुणइ // 43 // आराहणपञ्चइअं खमगस्स य निरुबसग्गपञ्चइअं। तो उस्सग्गो संघेण होइ सव्वेण कायव्वो // 44 // पञ्चक्खाविंति तओ तं ते खमयं चउव्विहाहारं / संघसमुदायमझे चिइवंदणपुव्वयं विहिणा // 45 // अहवा समा हहेउं सागारं चयइ तिविहमाहारं / तो पाणयपि पच्छा वोसिरिअव्वं जहाकालं // 46 // तो सो नमंतसिरसंघडतकरकमलसेहरो विहिणा / खाइ सव्वसंघ संवेगं संजणेमाणो // 47 // आयरिअ उवज्झाए सीसे साहम्मिए कुलगणे य / जे मे केइ कसाया सव्वे तिविहेण खामेमि // 48 // सव्वे अवराहपए खामेह (मि) अहं खमेउ मे भयवं ! / अहमवि खमामि सुद्धो गुणसंघायरस संघरस // 49 // इअ वंदणखमणगरिहणाहिं भवसयसमज्जिअं कम्मं / उवणेइ खगेण खयं मिआवई रायपत्तिव्व // 50 // अह तस्स महव्वयसुट्ठिअस्स जिणवयणभाविअमइस्स / .. पञ्चक्खायाहारस्स तिव्वसंवेगसुहयस्स // 51 // आराहणलाभाओ कयत्थमप्पाणयं मुणंतस्स / कलुसकलतरणलट्ठि अगुसटिंठ देइ गणिवसहो // 52 // कुग्गहपरूढमूलं मूला उच्छिद वच्छ ! मिच्छत्तं / भावेसु परमतत्तं सम्मत्तं सुत्तनीईए // 53 //